प्रेम एक ऐसी दुर्घटना है जिसका पता तब चलता है जब यह घट चुका होता है.. ऐसी दुर्घटना जिसके घटित होने की कामना सभी करते हैं।
वेलेंटाइन डे इस दुर्घटना का कारण नहीं, बल्कि इसके चोटिल होने वालों का अस्पताल है – ज़ख़्मी दिलों का अस्पताल-जो घायलों का अपने तरीक़े से इलाज़ करता है। अब अस्पताल है तो बिल फाड़ेगा ही प्रेमियों पर… मेरा मतलब रोगियों पर। ज़ाहिर है यहाँ से आगे कुछ रोगी दुरूस्त होकर निकलेंगे तो कुछ की मर्ज़ बढ़ भी सकती है। पर ज़ेब दोनों हाल में कटेगी।
वैसे आप इसे आम दिन मानकर ignore मार सकते हैं लेकिन बाज़ार में बैठे हुए सेठों की इसपर गहरी नज़र है जो इसे त्योहार की उपाधि से सम्मानित करने को तैयार हैं, वे आपको ignore नहीं करने देंगे.. क्योंकि जितने त्योहार होंगे बाज़ार उतनी कमाई करेगा। इसलिए जबरदस्ती का एक और त्योहार मना भी लीजिए, कितना दिन मुँह मोड़ पाइएगा! देखिए यह संदेश विश्वास हो जाएगा इस बाज़ार प्रायोजित दुघर्टना पर। .
कहानियाँ सिर्फ शब्दों का व्यवसाय नहीं बल्कि एहसासों को कागज़ पर उतारने का भी नाम है..और इस तरह जिंदगी को एक अलग नज़रिए से देखने की कोशिश भी..
मंगलवार, 14 फ़रवरी 2017
वेलेंटाइन के बाज़ार में
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